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[2/12, 9:42 am] J TEN NEWS: India-Russia Relations: पुतिन के भारत आने से देश को क्या मिलेगा? हो सकते हैं ये बड़े फैसले, जानें कैसे ऑपरेशन सिंदूर में काम आया रूसभारत-रूस शिखर सम्मेलन में रक्षा साझेदारी को नई गति मिलने की उम्मीद है. S-400, ब्रह्मोस और सुदर्शन चक्र पर बड़ा सहयोग संभव है.
[2/12, 9:43 am] J TEN NEWS: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 और 5 दिसंबर को दिल्ली पहुंचेंगे, जहां उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अहम मुलाकात होगी. यह बैठक दोनों देशों की विशेष रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा दे सकती है, खासकर भारत के अत्याधुनिक एयर डिफेंस प्रोजेक्ट सुदर्शन चक्र को गति देने में. [2/12, 9:43 am] J TEN NEWS: हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय रक्षा क्षमता में रूसी तकनीक की भूमिका को और मजबूत साबित किया. S-400 वायु रक्षा प्रणाली, ब्रह्मोस मिसाइल, सुखोई-30MKI और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, इन सभी ने संयुक्त रूप से भारत को निर्णायक बढ़त दिलाई. इसी सफलता के बाद भारत अब S-400 के अतिरिक्त बैच खरीदने पर गंभीरता से विचार करता दिख रहा है. [2/12, 9:43 am] J TEN NEWS: दिग्गज वैज्ञानिक और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत बताते हैं कि भारत–रूस रक्षा साझेदारी 1970 के दशक से लगातार बढ़ती रही है. सैम-2 मिसाइल से लेकर मिग-21, मिग-27, मिग-29 और टी-90 टैंक के साथ रूस ने भारत के रक्षा ढांचे को काफी अरसे से ही मजबूती दी. पिछले बीस वर्षों में यह रिश्ता केवल हथियार खरीद का नहीं रहा, बल्कि साझा तकनीकी विकास में बदल गया. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ब्रह्मोस मिसाइल है.भारत-रूस दोस्ती की सबसे सफल तकनीक
ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है. ऑपरेशन सिंदूर में इसने अपनी रफ्तार और सटीकता से दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया. डॉ. सारस्वत कहते हैं कि ब्रह्मोस की क्षमता का कोई वैश्विक मुकाबला नहीं और इसका अगला संस्करण हाइपरसोनिक होगा, जो भविष्य की जंगों का रूप बदल देगा.
S-400—जिसने भारतीय आसमान को ढाल बना दिया
रूस से मिली S-400 प्रणाली ने भारत के वायु क्षेत्र को लगभग अभेद्य बना दिया है. यह सिस्टम दुश्मन के विमान, मिसाइल, ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक हमलों को काफी दूरी से ही रोक देता है. ऑपरेशन सिंदूर में इसकी मौजूदगी के कारण दुश्मन के लड़ाकू विमान सीमा के पास भी फटक नहीं पाए. यही वजह है कि भारत अब इसके अतिरिक्त बैच पर विचार कर रहा है.
सुखोई स्वदेशी उत्पादन में रूस की सबसे बड़ी मदद
लाइसेंस उत्पादन के तहत भारत में ही बनाए गए सुखोई-30MKI वायुसेना का सबसे भरोसेमंद हथियार बने हुए हैं. आक्रामक अभियानों में इन विमानों की भूमिका अत्यंत निर्णायक रही. भारतीय तकनीक और रूसी प्लेटफॉर्म का यह संयोजन अब और उन्नत संस्करणों की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
रक्षा के बाहर भी गहरी साझेदारी
भारत-रूस संबंध सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं हैं. दोनों देश मिलकर कई योजनाओं पर भी काम कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर कुडनकुलम परमाणु परियोजना, उपग्रह प्रक्षेपण और स्पेस सहयोग, पनडुब्बी तकनीक और रक्षा उद्योगों के संयुक्त उत्पादन. यह सहयोग भारत की रणनीतिक क्षमता को मजबूत करता है.
क्यों कहा जाता है रूस को भारत का सबसे भरोसेमंद साझेदार?
रूस के साथ भारत के संबंधो पर डॉ. सारस्वत ने निजी टीवी चैनल को कहा कि भारत–रूस संबंध समय, राजनीति और वैश्विक दबावों की हर कसौटी पर खरे उतरे हैं. यह साझेदारी भरोसे, तकनीकी सहयोग और दीर्घकालिक सुरक्षा नीति पर आधारित है, इसलिए आने वाले वर्षों में यह और मजबूत ही होगी.




